समयपूर्व प्रसव यानी गर्भावस्था के 37 हफ्ते से पहले बच्चे का जन्म होना एक गंभीर समस्या है जो हर साल लाखों शिशुओं को प्रभावित करती है। ऐसा क्यों होता है और इससे नवजात को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, यह जानना बेहद जरूरी है।

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क्यों होता है प्रीमैच्योर बर्थ?
अक्सर समयपूर्व जन्म का सही कारण पता नहीं चल पाता, लेकिन कुछ प्रमुख कारण और जोखिम कारक स्पष्ट हैं।
मातृ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ जैसे मधुमेह, प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप), और संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं। वहीं, धूम्रपान, नशे की लत, और पोषण की कमी जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतें भी जोखिम बढ़ाती हैं।
पहले से समयपूर्व प्रसव का इतिहास, गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा की समस्या, और जुड़वां या एक से अधिक भ्रूण भी इसके आम कारण हैं।

समयपूर्व बच्चे की स्थिति कैसी होती है?
ऐसे बच्चे अक्सर पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए उन्हें जन्म के तुरंत बाद NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
उनके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई (Respiratory Distress Syndrome) होती है। शरीर में वसा की कमी के कारण तापमान बनाए रखना मुश्किल होता है, और पाचन प्रणाली कमजोर होने से दूध पिलाने में दिक्कत आती है।

लंबे समय की समस्याएँ
कई बच्चे स्वस्थ होकर बड़े होते हैं, लेकिन कुछ को जीवनभर स्वास्थ्य समस्याएँ रह सकती हैं।
धीमी विकास गति, सेरेब्रल पाल्सी, दृष्टि या सुनने में कमी, अस्थमा और सीखने की कठिनाइयाँ इनमें शामिल हैं।

सावधानी ही समाधान है
गर्भावस्था के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच, उचित पोषण, और जोखिम कारकों की पहचान समयपूर्व जन्म की संभावना को काफी हद तक कम कर सकती है। साथ ही, जन्म के बाद प्रारंभिक देखभाल और थेरेपी से बच्चों के भविष्य में सुधार संभव है।

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