मरने के बाद इंसान के साथ क्या होता है — यह सवाल सदियों से रहस्य बना हुआ है। विज्ञान, धर्म, और दर्शन — तीनों के अपने-अपने दृष्टिकोण हैं, लेकिन सच क्या है? आइए जानते हैं कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से मृत्यु के बाद क्या घटता है।
वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दृष्टिकोण से:
मृत्यु का अर्थ है शरीर की सभी जीवनदायी क्रियाओं का स्थायी रूप से बंद हो जाना। दिल की धड़कन रुक जाती है, रक्त प्रवाह बंद हो जाता है, और शरीर को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है। दिमाग भी काम करना बंद कर देता है, हालांकि कुछ मिनटों तक गामा ऑस्सीलेशन जैसी गतिविधि जारी रह सकती है — यही वजह है कि कई लोगों को near-death experience (NDE) होता है, जिसमें वे तेज रोशनी या अपने जीवन की झलक देखते हैं।
मृत्यु के बाद शरीर में कई बदलाव होते हैं —
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Pallor mortis: त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है।
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Algor mortis: शरीर का तापमान धीरे-धीरे घटता है।
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Livor mortis: खून नीचे की ओर जमने लगता है जिससे त्वचा पर बैंगनी धब्बे बनते हैं।
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Rigor mortis: मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं।
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Decomposition: शरीर सड़ने लगता है और अंततः केवल हड्डियां बचती हैं।
धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से:
हिंदू और बौद्ध मान्यताओं में पुनर्जन्म का सिद्धांत है — यानी आत्मा कर्म के अनुसार नए शरीर में जन्म लेती है।
वहीं ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म में यह माना जाता है कि आत्मा स्वर्ग या नर्क में जाती है।
विज्ञान के अनुसार, चेतना मस्तिष्क की उपज है, और जब मस्तिष्क काम करना बंद करता है, तो चेतना भी समाप्त हो जाती है।
अंततः, विज्ञान शरीर के विघटन को तो समझा चुका है, लेकिन “आत्मा या चेतना” के रहस्य को नहीं सुलझा पाया है। शायद इसी कारण मृत्यु आज भी मानवता का सबसे बड़ा रहस्य बनी हुई है।
मर्ने बित्तिकै के हुन्छ? विज्ञानले खोले मृत्यु पछाडिको रहस्य, आत्मा र चेतनाको चकित पार्ने खुलासा!
