एजेंसी। आज बरदशाह के आठवें दिन दुर्गा भवानी की पूजा कर महा अष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।

आज दशईंघर और कोटाल सहित प्रदेश के विभिन्न शक्तिपीठों पर पशुओं की बलि देकर दुर्गा भवानी की पूजा की जाती है।

आज कल पुर्जों, शस्त्रों और वाहनों की विशेष रूप से सफाई की जाती है और उस स्थान पर रखा जाता है जहां देवी की स्थापना की जाती है और पशु बलि के साथ उनकी पूजा की जाती है। इन यंत्रों को देवी के हथियार के रूप में पूजा जाता है। Today, Maha Ashtami, worship of Kalratri, do this work to get the grace of Goddess

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महा अष्टमी की रात को हनुमान ढोका के दशिंगघर में राज्य की ओर से 54 बकरियों और 54 बैलों की बलि से कालरात्रि की पूजा की जाती है.

आज घाटी में शक्तिपीठों में गुह्येश्वरी, मैतीदेवी, कालिकास्थान, भद्रकाली, नक्सल भगवती, शोभा भगवती, विजेश्वरी, इंद्रायणी, रक्तकली, वज्रयोगिनी, संकट, बजराबराही, दक्षिणकाली, चामुंडा, सुंदरीमेल और अन्य मंदिरों की पूजा की जाती है।

इसी तरह, गोरखा के मनकामना, पर्सा के गहवामाई, सप्तरी के छिन्नमस्ता, धनुषा के राजदेवी, डडेलधुरा के उग्रतारा, काभे्रपलाञ्चोक के चण्डेश्वरी, काभ्रे के नाला भगवती / पलाञ्चोक भगवती, सिन्धुपाल्चोक के पाल्चोक भगवती, दोलखा के कालीञ्चोक भगवती, ताप्लेजुङ के पाथीभरा की दर्शन होती ।

जो लोग आज पशु बलि नहीं चढ़ाते हैं, वे पूजा कक्ष में अपनी परंपरा के अनुसार खीरा, घिराऊ, कुबिंदो, मूली, नारियल आदि का चढ़ावा चढ़ाते हैं.

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