सुधीर सिंह । कहते हैं कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर कोई व्यक्ति किसी काम को लगन और मेहनत से करता है तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। Started business by taking loan, today they are the owners of crores, these husband and wife make bamboo furniture

यह अरुणा और प्रशांत लिंगम की कहानी है। हैदराबाद में रहने वाले प्रशांत और अरुणा की शादी हो चुकी है। दोनों ने 2006 में शादी के बंधन में बंध गए। एक दिन प्रशांत अपने घर के लिए बांस का फर्नीचर लेने गया। उन्होंने अनुमान लगाया कि इसमें पर्याप्त आय होगी। फिर उसने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई।

प्रशांत के माता-पिता बांस के काम के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि, जोड़े ने हार नहीं मानी। योजना के अनुसार वह करीब नौ माह के लिए वन अध्ययन भ्रमण पर निकला था। इस बीच, दंपति को पता चला कि भारत में बांस उत्पादों का बाजार बहुत बड़ा है। यह भी महसूस किया गया कि इससे बड़ी संख्या में लोगों की रोजगार की समस्या का समाधान हो सकता है।

दैनिक भास्कर के मुताबिक इस कपल ने 2008 में बैंबू हाउस की शुरुआत की थी। उन्होंने अतिरिक्त काम करने के लिए एक बैंक से करीब 60 लाख रुपये का कर्ज लिया।

वहीं आंध्र प्रदेश के ग्रामीणों और आदिवासियों को बांस से बर्तन बनाने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। सफर के दौरान काफी दिक्कतें आईं। लेकिन यह जोड़ी नहीं रुकी। रिजल्ट आने के बाद मैं वहां से चला गया। आज बांस हाउस हजारों घर चला रहा है।

हजारों लोगों को रोजगार मिला है। वे अब एक महीने में एक लाख रुपये से अधिक कमाते हैं। इसलिए कुछ करने का मन बना लें। सफलता निश्चित है।

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