एजेंसी। शास्त्रों में सोमप्रदोष व्रत को सर्व सुख प्रदान करने वाला महान व्रत बताया गया है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस व्रत के प्रभाव से चंद्रमा अपना शुभ फल देता है। सोम प्रदोष के दिन शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष (सोम प्रदोष व्रत 2021) कहा जाता है। religion worship story som pradosh vrat 2021 october date puja vidhi significance

सोमवार का व्रत करने और सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। सोम प्रदोषम को चंद्र प्रदोषम भी कहा जाता है। यह किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है।

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद की जाती है। प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हल्का लाल या गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है। चांदी या तांबे के बर्तन से शुद्ध शहद को शिवलिंग पर धारा से प्रवाहित करें।

फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें और ओम सर्वसिद्धि प्रदाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। अपनी समस्या के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और शिव चालीसा का पाठ करें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

सोम प्रदोष व्रत का महत्व
हर प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। यह साल संयोग ही रहा है।

सोम प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में कभी भी कमी नहीं आती है। प्रदोष का व्रत करने से धन संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं. ऐसा माना जाता है कि सोम प्रदोष का व्रत करने से मनचाहा वर और वधू मिलता है। भगवान शिव की पूजा करने से न केवल व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष भी प्राप्त होता है।

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