काठमांडू। नेपाल में विभिन्न समुदायहरू में प्रचलित भूत–प्रेत से जुड़े रोचक लोककथाएँ हाल ही में सामाजिक माध्यमों पर चर्चा का विषय बनेका छन्। डर कम र मनोरंजन ज्यादा दिने यी कथाएं देश की सांस्कृतिक विविधता को भी प्रतिबिम्बित करती हैं।

हिमाली क्षेत्रों में देखा जाने वाला ख्याक सबसे लोकप्रिय और ‘फ्रेंडली घोस्ट’ के रूप में जाना जाता है। लाल टोपी पहने, उछलते–कूदते र मुस्कुराते हुए दिखाई देने वाले ख्याक को कई कथाओं में रास्ता भटके यात्रियों को सही दिशा दिखाने वाला भूत बताया गया है।

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इसके अलावा जंगलों में दिखाई देने वाली बन झांकरी की आत्मा को शक्ति और आध्यात्मिक परंपराओं से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि यह आत्मा सफेद पोशाक में अचानक प्रकट होती है और पास जाने पर गायब हो जाती है।

उल्टे पैर वाली लाछी को कई कहानियों में डरावना बताया गया है, लेकिन लोकमान्य परंपराओं के अनुसार यह सिर्फ बुरे और गलत कर्म करने वालों को ही परेशान करती है।

काठमांडू घाटी में चर्चित गुलेली भूत रात में पत्थर फेंकने और खिड़की खटखटाने जैसे शरारती कार्यों के लिए जाना जाता है। हालांकि, यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता और अक्सर इसे घर के शरारती सदस्य की तरह देखा जाता है।

नेपाल में भूतकथाएं जातीय और सांस्कृतिक विविधताओं से भी गहराई से जुड़ी हुई हैं। नेवार समुदाय में बाँसुरी बजाने वाला भूत, गुरुङ समुदाय में नाचने वाला ख्याक, तराई क्षेत्र में खेतों में छिपकर खेलने वाला भूत तथा हिमाली इलाके में प्रतिध्वनि पैदा करने वाली आत्माओं की कथाएं आज भी लोकविश्वासको जीवित राखिरहेका छन्।

सांस्कृतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ये सभी कथा–कहानियाँ नेपाल की लोकसंस्कृति की समृद्धि और समुदायगत परंपराओं की विशिष्टता को उजागर करती हैं।

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