धार्मिक ब्यूरो। कल शिव पूजा यानि महाशिवरात्रि का महापर्व है। कैलेंडर के अनुसार यह दिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है।
जो इस बार 1 मार्च को पड़ रहा है। शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग से सृष्टि की शुरुआत हुई थी।
इस दिन भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने पहली बार शिवलिंग की पूजा की थी। तब से हर युग में इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा और उपवास करने की प्रथा है। इस पर्व में पूरे दिन शिव की पूजा की जाती है। jeevan mantra dharm news mahashivratri will be celebrated in 6 rajyoga tomorrow 7 muhurtas of worship in 24 hours
साथ ही शास्त्रों में रात्रि पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। यह भी माना जाता है कि इस त्योहार में भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।
दुर्लभ ग्रह स्थिति और पांच राजयोग
वरिष्ठ ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा का कहना है कि महाशिवरात्रि पर शिव योग हो रहा है। वहीं शंख, पर्वत, सुख, दीर्घायु और भाग्य के नाम पर राजयोग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र और शनि मकर राशि में रहेंगे।
जब ये ग्रह एक राशि में होते हैं तो पंचग्रही योग बनता है। साथ ही सूर्य और गुरु का कुम्भ राशि में संयोग भी इस महापर्व में शुभ रहेगा। बृहस्पति धर्म-कर्म का ग्रह है और सूर्य आत्मा कारक है। इन दोनों ग्रहों की युति से शिव पूजा का शुभ फल मिलेगा। शिवरात्रि पर राशि चक्र की ऐसी स्थिति कई सालों से नहीं बनी है।
उपवास कैसे करें
शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर जल में गंगाजल और काले तिल मिलाकर स्नान करें। फिर पूरे दिन उपवास करें और शिव की पूजा करें। व्रत के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए।
पुराणों में कहा गया है कि दिन भर पानी नहीं पीना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप इतना उपवास नहीं कर सकते हैं, तो आप फल, दूध और पानी पी सकते हैं। इस व्रत में सुबह-शाम स्नान करके शिव मंदिर जाना चाहिए।
पूजा मंत्र
1. ओम नाम: शिवाय:
2. ओम हूं जून सा: ओम भुर्भुवा: स्व
उरवारुकमिव बेटल्था मृत्युमोरमुक्षीय मामृत्यत् ।। ॐ स्वः भुवः भूः सः जूं हौं