दिल्ली । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक अंतरिक्ष यान सूर्य के सबसे करीब पहुंचकर मात्र नहीं बल्कि अत्यधिक तापमान वाले उस क्षेत्र में भी सामान्य रूप से काम करके इतिहास रच चुका है। इससे पहले कोई भी अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब नहीं पहुंच पाया था। शुक्रवार को नासा के वैज्ञानिकों ने संकेत प्राप्त किया कि अत्यधिक तापमान वाले वातावरण में कई दिनों तक उड़ान भरने के बाद, यान का संचार संपर्क टूट गया था।
नासा के अनुसार पार्कर सोलार प्रोब नामक इस यान ने सूर्य के सतह से ६१ लाख किलोमीटर की दूरी पर भी सामान्य रूप से काम किया। याद रहे कि, नासा ने २०१८ में पार्कर सोलार प्रोब को सौरमंडल के केंद्र की ओर भेजा था। वैज्ञानिकों के अनुसार क्रिसमस के पहले दिन यह यान सूर्य के बाहरी वातावरण में प्रवेश कर गया। हालांकि अत्यधिक तापमान और विकिरण का सामना करने के बावजूद इसने अपना अस्तित्व बनाए रखा। अंतरिक्ष यान की इस उड़ान से सूर्य के काम करने के तरीकों के बारे में अधिक तथ्य सामने आएंगे।
पार्कर सोलार प्रोब सूर्य के करीब पहुंचने पर नासा के वैज्ञानिकों की धड़कन बढ़ गई थी। वे लगातार उससे संकेतों का इंतजार कर रहे थे। ये संकेत २८ दिसंबर की सुबह ५ बजे तक प्राप्त होने की उम्मीद थी।
इतना तापमान अंतरिक्ष यान ने कैसे सहन किया?
नासा की वेबसाइट के अनुसार पार्कर सोलार प्रोब ने ६.९२ लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी यात्रा करते हुए ९८० डिग्री सेल्सियस तापमान को भी सहन कर लिया। नासा ने कहा कि पार्कर सोलार प्रोब ने सूर्य के इतने करीब पहुंचकर उसके तापमान को मापने की अनुमति दी। इससे यह समझने में भी मदद मिलेगी कि किसी पदार्थ को लाखों डिग्री सेल्सियस तापमान तक क्यों गर्म किया जा सकता है।
इससे सौर्य हवाओं की उत्पत्ति और ऊर्जायुक्त कणों के प्रकाश की गति तक पहुंचने के कारण भी स्पष्ट हो सकते हैं। नासा के विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. निकोला फॉक्स ने पहले बीबीसी से कहा था कि सदियों से लोग सूर्य का अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन जब तक वे वहां नहीं पहुंचते, तब तक वहां के वातावरण का अनुभव नहीं कर सकते। इसलिए जब तक आप सूर्य के पास से उड़ान नहीं भरेंगे, तब तक वहां के माहौल के बारे में नहीं बता सकते।
पार्कर सोलार प्रोब २०१८ में प्रक्षेपित किया गया था। तब से इसने सौरमंडल के केंद्र की ओर अपनी यात्रा जारी रखी थी। इसने सूर्य के पास २१ बार उड़ान भरी है और हर बार यह पहले से अधिक करीब पहुंचा है। लेकिन क्रिसमस के पहले दिन यह सूर्य के सबसे करीब पहुंचा और अब तक के रिकॉर्ड तोड़ दिए।
हालांकि इतने नजदीक पहुंचने के बावजूद, यह अभी भी सूर्य से ६१ लाख किलोमीटर दूर था। हालांकि इस दूरी ने सूर्य और यान के बीच की दूरी को नई परिभाषा दी। डॉ. फॉक्स के अनुसार, पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी ९ करोड़ ३० लाख मील है। अगर हम सूर्य और पृथ्वी को एक मीटर की दूरी पर रखते हैं, तो सोलार प्रोब सूर्य से केवल ४ सेंटीमीटर की दूरी पर था। वास्तव में, सोलार प्रोब सूर्य के बहुत करीब पहुंच गया था।
यह अंतरिक्ष यान १४०० डिग्री सेल्सियस तापमान को भी सहन करने में सफल रहा। इतना उच्च तापमान यान के उपकरणों को राख में बदल सकता था। लेकिन यान में चारों ओर लगी ११.५ सेमी की मोटी कार्बन कंपोजिट शील्ड ने इसे सुरक्षित रखा। हालांकि, यान की रणनीति सूर्य के वातावरण में तेजी से प्रवेश करने और फिर उतनी ही तेजी से बाहर निकलने की थी। वास्तव में, यह किसी भी मानव निर्मित वस्तु की तुलना में उच्च गति से चला। इसकी गति ४ लाख ३० हजार मील प्रति घंटा थी। यानी ३० सेकंड से भी कम समय में इसने लंदन से न्यूयॉर्क तक की दूरी तय की। पार्कर को यह गति सूर्य की ओर जाते समय अत्यधिक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण प्राप्त हुई थी।
सूर्य को छूने का प्रयास क्यों हो रहा है ?
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब पार्कर सोलार प्रोब सूर्य के बाहरी वातावरण यानी कोरोना में प्रवेश कर गया, तब उसने ऐसे कई तथ्य एकत्र किए होंगे जो लंबे समय से बने रहस्यों को सुलझा सकते हैं। वेल्स स्थित फिफ्थ स्टार लैब की खगोलशास्त्री डॉ. जेनिफर मिलार्ड के अनुसार कोरोना वास्तव में बहुत गर्म होता है और वहां इतना तापमान क्यों है, इसका हमें किसी को भी नहीं पता।
उनके अनुसार, सूर्य की सतह का तापमान लगभग ६ हजार डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन इसका बाहरी हिस्सा यानी कोरोना (जिसे हम सूर्य ग्रहण के समय भी देख सकते हैं) में तापमान लाखों डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और यह सूर्य से बहुत दूर भी है। आखिरकार वहां का वातावरण इतना गर्म क्यों हो रहा है? यह रहस्य के गर्भ में ही है।
नासा का यह मिशन सौर्य तूफान यानी सूर्य के कोरोना से लगातार निकलने वाले चार्जयुक्त कणों के प्रवाह का भी अध्ययन करेगा। जब ये चार्जयुक्त कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आते हैं, तब आकाश में बहुत चमक उत्पन्न होती है। लेकिन अंतरिक्ष की इस घटना से मौसम से संबंधित विभिन्न समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। इससे ऊर्जा ग्रिड, विद्युत और संचार प्रणाली ध्वस्त हो सकती हैं।
डॉ. मिलार्ड कहती हैं कि पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन के लिए सूर्य, उसकी गतिविधियों, अंतरिक्ष के मौसम और सौर्य हवाओं के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है। पार्कर सोलार प्रोब के संपर्कविहीन होने पर नासा के वैज्ञानिक चिंतित थे। डॉ. फॉक्स का विश्वास था कि जब उससे संकेत प्राप्त होंगे, तब उनकी टीम उसे हरे रंग के दिल का चिह्न भेजेगी, जिसका मतलब यह होगा कि यान सही काम कर रहा है।
उन्होंने बताया कि उन्हें नासा के इस दुस्साहसिक प्रयास के बारे में पहले काफी चिंता थी लेकिन यान पर भरोसा था। वे कहती हैं – मुझे प्रोब के बारे में अब भी चिंता रहेगी। लेकिन हमने इसे इस प्रकार से डिजाइन किया है कि यह कठिन और कठोर परिस्थितियों में भी काम कर सके। छोटा आकार होने के बावजूद यह अंतरिक्ष यान अंदर से बहुत शक्तिशाली है।